*कह जाना दो बातें मुझसे ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |
कुछ अपनी कहना कुछ मेरी सुनना ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |
...कुछ कही अनकही बाते हैं,
उलझन को सुलझाते हैं ,
कहाँ फिर तुम जल्दी आते हो ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |
वो जो बरसों से प्यासी हैं ,
मेरी इन अखियों में उदासी है ,
अपनी खातिर ही रुक जाओ ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |"सीमा राजपूत "
* अपनी नींद और मेरी नींद,दोनों लेके सो जाते हो |
कितने ज़ालिम हो ,मेरी रातों को खाली कर जाते हो ||"सीमा राजपूत "
15 JUly 2011
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |
कुछ अपनी कहना कुछ मेरी सुनना ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |
...कुछ कही अनकही बाते हैं,
उलझन को सुलझाते हैं ,
कहाँ फिर तुम जल्दी आते हो ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |
वो जो बरसों से प्यासी हैं ,
मेरी इन अखियों में उदासी है ,
अपनी खातिर ही रुक जाओ ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |"सीमा राजपूत "
* अपनी नींद और मेरी नींद,दोनों लेके सो जाते हो |
कितने ज़ालिम हो ,मेरी रातों को खाली कर जाते हो ||"सीमा राजपूत "
15 JUly 2011
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