Friday, July 15, 2011

my pen

*कह जाना दो बातें मुझसे ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |
कुछ अपनी कहना कुछ मेरी सुनना ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |

...कुछ कही अनकही बाते हैं,
उलझन को सुलझाते हैं ,
कहाँ फिर तुम जल्दी आते हो ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |

वो जो बरसों से प्यासी हैं ,
मेरी इन अखियों में उदासी है ,
अपनी खातिर ही रुक जाओ ,
जल्दी क्या है ,फिर चले जाना |"सीमा राजपूत "


* अपनी नींद और मेरी नींद,दोनों लेके सो जाते हो |
कितने ज़ालिम हो ,मेरी रातों को खाली कर जाते हो ||"सीमा राजपूत "

15 JUly 2011

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